रानीखेत : संत निरंकारी मिशन की ओर से चलाया गया स्वच्छता अभियान। 

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रिपोर्टर बलवंत सिंह रावत 

रानीखेत। संत निरंकारी मिशन की सेवा भावना और मानव कल्याण के संकल्प को साकार करने के लिए ‘प्रोजेक्ट अमृत के अंतर्गत ‘स्वच्छ जल, स्वच्छ मन परियोजना के तहत आज मिशन से जुड़े सदस्यों ने सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रानीखेत के आस-पास स्वच्छता अभियान चलाया।

जिसके बाद संत निरंकारी सदस्यो ने मोरपंखी के पौधो का रोपण किया। परियोजना का उद्देश्य जल संरक्षण एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है, ताकि भावी पीढ़ियों को निर्मल जल और स्वस्थ पर्यावरण का वरदान प्राप्त हो सके।

आपको बता दे कि सन्त निरंकारी मिशन कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक विचारधारा है। सन्त निरंकारी मिशन विभिन्न विचारधाराओं में आस्था रखने वाले संसार के सभी इन्सानों का सम्मान करता है।

यह युगों-युगों से पवित्र ग्रन्थों में स्थापित इस मान्यता में विश्वास रखता है कि साकार सत्गुरु के माध्यम से ही परमपिता परमात्मा की जानकारी प्राप्त हो सकती है और आत्मबोध ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है। ईश्वर प्राप्ति के द्वारा ही वैश्विक भाईचारे और शान्ति की स्थापना संभव है।

ईश्वर का बोध अर्थात् ब्रह्मज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है। मानव शरीर पाकर भी परमात्मा से अनभिज्ञ रहना वास्तव में मानव के लिए बहुत बड़ी क्षति है।

परमात्मा के अनगिनत गुण हैं। इन गुणों के आधार पर इसे सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, शाश्वत, असीम, निराकार आदि नामों से पुकारा जाता है।

चूंकि इसका कोई रंग, रूप, आकार नहीं है, इसलिए निरंकारी जगत में ईश्वर को ‘निरंकार के नाम से संबोधित किया जाता है। मिशन न केवल ईश्वर के उपरोक्त गुणों का उल्लेख करता है, बल्कि जिज्ञासुओं के आग्रह किए जाने पर तत्क्षण ईश्वर का साक्षात्कार भी कराता है।

यद्यपि परमात्मा सर्वव्यापक है, हर जगह है, फिर भी तत्व रूप से इस का बोध कर पाना मानवीय प्रयासों की पहुंच से परे है।

केवल पूर्ण सत्गुरु की कृपा द्वारा ही जिज्ञासु के लिए सर्वव्यापी ईश्वर को जानना और इसके अहसास में जीवन व्यतीत करना संभव हो पाता है। पूर्ण सत्गुरु द्वारा प्रदान किया गया दिव्य ज्ञान मानव को सहज जीवन जीने का ढंग सिखाने के साथ-साथ मुक्ति का मार्ग भी दिखाता है।

परमात्मा एक ही है, परन्तु अज्ञान के कारण मनुष्य परमात्मा को अपनी-अपनी अवधारणा के आधार पर भिन्न-भिन्न रूपों में देखता है और भिन्न-भिन्न नामों से पुकारता है।

निःसंदेह दुनिया में विविधताएं हैं, लेकिन यह विविधताएं कोई अभिशाप नहीं हैं, बल्कि मानव के लिए वरदान हैं।

अज्ञानता के कारण मनुष्य खुद को भाषा, धर्म, संस्कृति, जाति, पंथ, रंग, नस्ल आदि की पहचानों तक सीमित कर लेता है।

सत्गुरु द्वारा प्रदत्त ब्रह्मज्ञान मानव को अपने वास्तविक रूप का बोध कराते हुए इन सीमाओं से ऊपर उठ कर, विशाल हृदय के साथ सहज, सरल व आनंदमयी जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

सन्त निरंकारी मिशन इस ब्रह्मज्ञान को जीवन में ढालने और कायम रखने के लिए सेवा, सुमिरण और सत्संग के प्रति अपने अनुयायियों को प्रेरित करता है। मिशन के लाखों स्वयंसेवक निरंकारी सेवादल का हिस्सा बन कर निष्काम भाव से सेवा करते हैं।

इस अवसर पर हरीश चन्द्र, महेश आर्या, हेमन्त रेखाड़ी सहित सन्त निरंकारी मिशन से जुड़े सदस्य उपस्थित रहे।


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