अल्मोड़ा जन सुविधा केंद्र में खाता-खतौनी सेवा बहाल करने में प्रशासन की उदासीनता

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अल्मोड़ा। जनता की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक खाता-खतौनी ऑनलाइन सेवा पिछले पाँच महीनों से ठप है, लेकिन प्रशासन इसे बहाल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा।

सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने इस गंभीर समस्या को कई बार उठाया और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर तीन अलग-अलग शिकायतें दर्ज करवाईं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें गंभीरता से लेने के बजाय महज औपचारिकता निभाई।

अल्मोड़ा जन सुविधा केंद्र में इस सेवा के ठप होने से आम जनता को भारी असुविधा हो रही है, लेकिन जिलाधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी इस समस्या की अनदेखी कर रहे हैं।

बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद वे ठोस कार्रवाई करने के बजाय मामले को तहसीलदार के पास भेजकर इसे दबाने का प्रयास कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी हो रही मनमानी

सबसे गंभीर बात यह है कि प्रशासन मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहा। न सिर्फ इस समस्या का समाधान करने में कोई रुचि नहीं दिखाई जा रही, बल्कि शिकायतकर्ता की अनुमति के बिना ही शिकायतों को एकतरफा तरीके से बंद किया जा रहा है। यह न केवल जनसुनवाई की प्रक्रिया का अपमान है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और मनमानी को भी दर्शाता है।

डिजिटल इंडिया के सपने पर पानी फेरता लापरवाह प्रशासन

जहां एक ओर प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया को बढ़ावां देने की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य के आला अधिकारी और आई.टी. विभाग अपनी वेबसाइट को साइबर अटैक से भी नहीं बचा पा रहे।

नतीजतन, पिछले पाँच महीनों से अल्मोड़ा जन सुविधा केंद्र में खाता-खतौनी की ऑनलाइन सेवा बंद पड़ी है, जिससे आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इस समस्या का समाधान निकालने के बजाय, जिलाधिकारी और संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं, जो दर्शाता है कि या तो वे समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे, या फिर जानबूझकर इसे अनदेखा कर रहे हैं।

यह रवैया जनता के अधिकारों का हनन है और लोकतंत्र में किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं हो सकता।

प्रशासन को चेतावनी – अब अनदेखी नहीं चलेगी

प्रशासन को चाहिए कि वह जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दे और अल्मोड़ा जन सुविधा केंद्र में खाता-खतौनी सेवा को तत्काल बहाल करे।

यदि इस विषय पर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो इसे प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया जाएगा और प्रशासन की जवाबदेही तय कराई जाएगी।

जनता के हक की इस लड़ाई में कोई भी समझौता नहीं होगा!


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