
स्व.हीरा सिंह राणा की 5वीं पुण्यतिथि पर मानिला में हुए सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए गए
रिपोर्टर शंकर फुलारा
भिकियासैण। उत्तराखण्ड के मुख्य गायक हीरा सिंह राणा की पुण्य तिथि पर सल्ट विकास संस्था द्वारा मॉं मानिला देवी ट्रस्ट के सहयोग से कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इसी के चलते मॉं मानिला देवी के पुस्तकालय में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
अतिथि नन्दन सिंह मनराल, जी.एस.चौहान,पुष्कर सिंह विष्ट, जीवन सिंह रावत,रमेश सिंह नेगी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संगोष्ठी में उपस्थित सभी साहित्य प्रेमियों द्वारा स्व.राणा जी को अपनी श्रद्धांजलि दी गयी।
इसके उपरांत संगीत के साथ स्व. राणा जी की रची वंदना ‘ हे मानिला की माई, हम आयूं त्येरि शरणा’ का सुंदर भावपूर्ण गायन चन्द्रशेखर गहत्याड़ी द्वारा किया गया। हारमोनियम पर गणेश सिंह रावत द्वारा सहयोग दिया गया।
इसके उपरांत संगोष्ठी में उपस्थित सभी साहित्य प्रेमियों की गरिमामयी उपस्थित के लिए इस कार्यक्रम के मुख्य सहयोगी मॉं मानिला देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष नन्दन सिंह मनराल व एडवोकेट जी.एस. चौहान द्वारा आभार व्यक्त करते हुए स्व.राणा के जीवन संघर्ष ,व्यक्तित्व,कृतित्व व उनकी साहित्यिक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की।
तत्पश्चात ईश्वर कोहली द्वारा राणा जी के जीवन वृत्त पर एक स्वरचित कुमाऊनी गीत ‘ उत्तराखंड देवभूमि गायक हीरा सिंह राणा, दुनी में कला कि छाप छोड़िगी अलग रै पछ्याणा’ का संगीत के साथ सुंदर गायन किया।
संगोष्ठी में जगदीश चन्द्र बौड़ाई द्वारा स्व.राणा जी को दूरदर्शी सोच रखने वाला बताया। उन्होंने पहाड़ के हर दु:ख-दर्द को यहां की हकीकतों को अपने गीतों,रचनाओं के माध्यम से उजागर करने का काम किया।
इसके उपरांत गणेश सिंह रावत ने सामाजिक बुराई शराब के प्रचलन पर स्व. राणा जी का गाया कुमाउनी गीत ‘सुर शराबी हाय मेरिट मौव लाल कै दिन हो ‘ का संगीत के साथ सुंदर गायन किया।
सल्ट विकास संस्था के अध्यक्ष पुष्कर सिंह बिष्ट द्वारा स्व.राणा जी के गीतों में कुमाऊनी के असल शब्दों का भंडार समाया हुआ है।
उनके एक – एक शब्द में गूढ़ अर्थ समाया हुआ है। उन्होंने कहा कि अगले वर्षों में हम स्व.राणा के जन्मदिन व पुण्यतिथि को भव्य रुप में मनाएंगे व विद्यालयों में भी राणा जी के रचना संसार पर विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन कर बच्चों को पुरस्कृत करने का काम भी संस्था के माध्यम से करेंगे।
इसके उपरांत संगोष्ठी में स्व.हीरा सिंह राणा को वैश्विक पटल पर सम्मान,पहचान दिलाने के लिए उत्तराखंड सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु छ: प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किये गये। जिनका वाचन जी.एस.चौहान द्वारा किया गया।
सर्वसम्मति से पारित प्रस्तावों में स्व.हीरा सिंह राणा जैसे महान गीतकार, गायक, साहित्यकार,विचारक के नाम से एक लोककला साहित्य और गीतकार के रुप में एक पुरस्कार योजना हो।
जिसे उत्तराखंड भाषा संस्थान व संस्कृति विभाग द्वारा प्रतिवर्ष एक कुमाउनी गीतकार,गायक के सम्मान में दिया जाए।
हीरा सिंह राणा जी की रचनाओं को प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम में शामिल किया जाय।
डोटियाल (मानिला) बरकिण्ड़ा मोटर मार्ग का नाम हीरा सिंह राणा के नाम पर रखा जाय, केन्द्रीय संस्कृति विश्वविद्यालय खोलने,
वर्ष 1980 से संचालित मौलेखाल अल्मोड़ा डाक बस सेवा नियमित रुप से मौलेखाल से अल्मोड़ा व अल्मोड़ा से वापसी मौलेखाल तक चलाये जाने, तल्ला सल्ट हरड़ा – तराड़ मौलेखाल मोटर मार्ग का पूर्ण डामरीकरण करनेतल्ला सल्ट से विकासखण्ड आदि प्रस्ताव है।
तत्पश्चात चन्द्रशेखर गहत्याड़ी द्वारा स्व.राणा जी के गीत त्यर पहाड़ ,त्यर पहाड़’ , रमेश सिंह नेगी ने ‘लस्का कमर बॉंधा’ गीतकार, गायक गिरीश सनवाल द्वारा ‘सरगतारा जुन्याली रात, को सुणलो तेरी-मेरी बाता’ व सत्यम सनवाल द्वारा ‘रंगिलि बिन्दी घाघरि काइ, धोती लाल किनर वाइ’ की संगीत के साथ शानदार प्रस्तुति दी।
संगोष्ठी में बालम सिंह व जीवन सिंह रावत द्वारा स्व. राणा जी के समाज हित में किये गये कार्यों को याद करते हुए ‘सल्ट क्षेत्र’ को ‘वीरों की भूमि’ कहा। हम सब मिलकर सल्ट के विकास के लिए संघर्ष करेंगे।
संगोष्ठी का संचालन कर रहे कृपाल सिंह शीला द्वारा भी सभी उपस्थित साहित्य प्रेमियों का स्वागत करते हुए हीरा सिंह राणा जी के कृतित्व पर एक कुमाऊनी गीत ‘हीरा सिंह राणा तुम है गया अमर हो’ गाया।
संगोष्ठी में के.एस.बंगारी,बलवन्त सिंह रावत, ज्ञानसिंह तड़ियाल, बचे सिंह नेगी, प्रहलाद सिंह मनराल,गौरव कुमार,प्रतापसिंह, आनन्द सिंह, हीरा सिंह, दिनेश सिंह बिष्ट,अनीता नेगी आदि की सक्रिय प्रतिभागिता रही।
