अल्मोड़ा। राजकीय महाविद्यालय, तल्ला सल्ट, अल्मोड़ा में संस्कृत विभाग के तत्त्वावधान में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर जनजातीय जीवन का सांस्कृतिक पक्ष शीर्षक पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्वलित व सरस्वती वन्दना के साथ आरम्भ हुआ ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ० गिरीश चन्द्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि हम यह जनजातीय गौरव दिवस भगवान बिरसा मुण्डा की जयन्ती के उपलक्ष्य में मनाते हैं।
यह दिवस जनजातीय समुदाय के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति, सभ्यता, परम्परा, वेशभूषा व विरासत के संरक्षण हेतु अह्ल्लादित हो मनाया जाता है और कहा कि जनजातीय जीवन की संस्कृति ही उनका मूल है, वही आत्मा है जिसका संरक्षण हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।
अंग्रेजी विभाग की प्राध्यापिका डॉ० रितिका गिरी गोस्वामी ने कहा कि, भगवान बिरसा मुण्डा ने आदिवासियों की संस्कृति, सभ्यता, विरासत के अधिकारों की रक्षा हेतु लड़ाई लड़ी, उन्हें शिक्षित करने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने हेतु प्रेरित किया |
राजनीति विज्ञान की प्राध्यापिका डॉ० निधि गोस्वामी ने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा द्वारा आदिवासियों की संस्कृति, परम्परा के संरक्षण हेतु अशेष कार्य किए गए, उन्होंने आदिवासियों पर ब्रिटिशि काल में लगाए गए बधुआ मजदूरी व नाना प्रकार की अनुचित प्रथाओं का विरोध किया तथा उन्हें उनके अधिकारों से परिचित कराया ।
कार्यक्रम का संचालन संस्कृत-विभाग के प्राध्यापक डॉ० अंकित मनोड़ी द्वारा किया गया, उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि जनजातीय जीवन का सांस्कृतिक पक्ष बहुत ही समृद्ध व विविध है।
जनजातीय जीवन की संस्कृति उनकी पहचान व एकता को दर्शाती है उनकी यह संस्कृति हमें उनकी विरासत और इतिहास से प्रत्यक्ष करवाती है उक्त कार्यक्रम में समस्त छात्र-छात्रायें, प्राध्यापक व कर्मचारी बन्धु उपस्थित रहे।
















