ग्रामीण इलाकों में जबरन प्रीपेड बिजली मीटर लगाने को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है।
पुलिस का सहारा लेकर प्रीपेड मीटर लगाए जाने की शिकायतें बढ़ने के बाद स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और ऊर्जा निगम के अधिकारियों को चेतावनी दी।
ग्रामीणों का कहना है कि बिना उनकी सहमति के जबरन मीटर लगाए जा रहे हैं, जो किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
रामनगर के आसपास के कई गांवों में प्रीपेड बिजली मीटर लगाए जाने का काम शुरू हो चुका है. ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदारों द्वारा जबरदस्ती उनके घरों में मीटर लगाए जा रहे हैं।
लोगों को न तो इसकी कोई स्पष्ट जानकारी दी गई है और न ही उनकी सहमति ली गई है. इतना ही नहीं, विरोध करने पर लोगों को धमकाने और पुलिस बुलाने की बात भी कही जा रही है।
लूटावड़ गांव के लोगों का कहना है कि उनके घरों में बिना पूर्व सूचना के प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं, जिससे वे काफी परेशान हैं. उनका तर्क है कि पहले से ही बिजली की दरें अधिक हैं और अब प्रीपेड मीटर लगाने से उनके ऊपर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ठेकेदारों के कर्मचारी कभी आर्थिक प्रलोभन देकर तो कभी पुलिस का डर दिखाकर मीटर लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
जबरन मीटर लगाए जाने की खबर मिलते ही ग्रामीणों ने इसका विरोध करने के लिए एकजुट होकर प्रदर्शन किया. गुस्साए लोगों ने बिजली विभाग के कार्यालय का घेराव किया और जोरदार नारेबाजी की।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार बिना किसी ठोस कारण के जबरदस्ती प्रीपेड मीटर लगाने की कोशिश कर रही है, जिससे आम जनता को आर्थिक रूप से नुकसान होगा।
नाराज ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी
विरोध कर रहे लोगों का कहना था कि प्रीपेड मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं को पहले ही बिजली के लिए भुगतान करना होगा, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को काफी परेशानी होगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बिजली महंगी करने के साथ-साथ अब उपभोक्ताओं पर और अधिक बोझ डालने की कोशिश कर रही है।
ग्रामीणों के प्रदर्शन की खबर मिलते ही प्रीपेड मीटर लगाने वाले ठेकेदार के कर्मचारी और ऊर्जा विभाग के अधिकारी मौके से नदारद हो गए।
अधिकारियों की अनुपस्थिति ने प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और बढ़ा दिया. नाराज ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि जबरन प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रियाजारी रही, तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
प्रीपेड मीटर के लगने से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने ऊर्जा विभाग से मांग की कि जब तक इस विषय पर स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं दी जाती और जनता की सहमति नहीं ली जाती, तब तक प्रीपेड मीटर लगाने का काम बंद किया जाए।
ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे खुद ही लगाए गए मीटरों को हटाने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने सरकार की बिजली नीति पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में पहले से ही बिजली की कीमतें अन्य राज्यों की तुलना में अधिक हैं, और अब प्रीपेड मीटर के जरिए उपभोक्ताओं से पहले ही भुगतान कराने की योजना बनाई जा रही है. इससे आम जनता को और अधिक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा।
विरोध के बाद मीटर लगाने का काम रोका गया
ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार को नई योजना लागू करनी है, तो पहले लोगों को इसके फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी देनी चाहिए. जबरदस्ती और पुलिस के डर से मीटर लगाने का तरीका पूरी तरह से गलत है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
ग्रामीणों के विरोध के बाद ठेकेदार के कर्मचारी मीटर लगाने के लिए गांव में नहीं पहुंचे. इस विरोध प्रदर्शन के बाद फिलहाल प्रीपेड मीटर लगाने का काम रोक दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह प्रक्रिया दोबारा शुरू हुई, तो वे और बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे.
जबरन थोपे जा रहे फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि जबरन थोपे जा रहे किसी भी फैसले को वे स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने मांग की कि सरकार को पहले जनता की राय लेनी चाहिए और फिर कोई भी बड़ा फैसला करना चाहिए।
स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो वे ऊर्जाविभाग के खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अगर जबरन मीटर लगाए गए, तो वे खुद उन्हें हटाने के लिए मजबूर हो जाएंगे।