अल्मोड़ा। वन प्रभाग एवं दर्पण समिति के संयुक्त प्रयास से दूनागिरि क्षेत्र में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का बीते शनिवार क्षेत्र पंचायत सभागार, द्वाराहाट में शुभारंभ हुआ। यह शिविर 21 अप्रैल तक चलेगा, जिसमें क्षेत्र के 30 से अधिक युवाओं, महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाएगा।
शिविर के उद्घाटन सत्र में उप प्रभागीय वनाधिकारी, अल्मोड़ा ने सभी प्रतिभागियों और सहयोगी संस्थाओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहल दूनागिरि की जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए स्थानीय समुदायों को रोजगार से जोड़ने का महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रतिभागियों को पक्षी अवलोकन, जैव विविधता प्रबंधन, सांस्कृतिक पर्यटन और डिजिटल मार्केटिंग जैसे विषयों पर मार्गदर्शन देंगे।
उप जिलाधिकारी, द्वाराहाट सुनील कुमार राज ने इस अवसर पर दूनागिरि के इको-टूरिज्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यह क्षेत्र न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य, बल्कि धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के लिए भी विशिष्ट है। इको-टूरिज्म के माध्यम से हम पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन स्थापित कर सकते हैं।”
उन्होंने स्थानीय युवाओं से इस प्रशिक्षण का लाभ उठाकर क्षेत्र को एक मॉडल इको-डेस्टिनेशन बनाने का आह्वान किया।
प्रशिक्षण में क्षेत्रीय विशेषज्ञों की एक विविध टीम शामिल है, जिनमें पर्यावरणविद्, पक्षी विज्ञान में अनुभवी शोधकर्ता, सांस्कृतिक विरासत के जानकार, डिजिटल मार्केटिंग प्रशिक्षक और हॉस्पिटैलिटी उद्योग के पेशेवर शामिल हैं। ये विशेषज्ञ प्रतिभागियों को प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग, पर्यटकों के लिए आकर्षक गतिविधियों के निर्माण, स्थानीय लोककथाओं को पर्यटन से जोड़ने और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से क्षेत्र का प्रचार करने की तकनीकों से अवगत कराएंगे।
इस अवसर पर खंड विकास अधिकारी, द्वाराहाट संतोष जेठी, तहसीलदार, द्वाराहाट तितिक्षा जोशी और वन क्षेत्राधिकारी, द्वाराहाट सहित अन्य अधिकारियों की उपस्थिति रही। शिविर के दौरान प्रतिभागी दूनागिरि के प्राकृतिक पर्यटन स्थलों और ऐतिहासिक मंदिरों का भ्रमण भी करेंगे, ताकि उन्हें व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त हो सके।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थानीय समुदाय को इको-टूरिज्म के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने और पलायन रोकने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।