डॉक्टर अनावश्यक रूप से नहीं लिख पाएंगे बाहर की दवाइयां।
सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को होगा लाभ।
सरकारी अस्पतालों में बाहर से दवाई लिखने का रखना होगा रिकॉर्ड
अस्पताल के उपलब्ध संसाधनों का करना होगा शतप्रतिशत सदुपयोग।
रिपोर्टर – बलवंत सिंह रावत
अल्मोड़ा। जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने जनपद की स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किए जाने को लेकर चिकित्साधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए हैं। विभिन्न माध्यमों से संज्ञान में आए स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को जिलाधिकारी ने गंभीरता से लिया है।
जिलाधिकारी ने बताया कि यह तथ्य संज्ञान में आए हैं कि कतिपय चिकित्सकों द्वारा जानबूझकर मरीजों के लिए ऐसी दवाइयां लिखी जाती हैं, जो चिकित्सालय में उपलब्ध नहीं होती है, जिस कारण उन्हें मेडिकल स्टोर से वह दवाइयां खरीदने हेतु विवश होना पड़ता है।
इसके साथ ही यह भी संज्ञान में आया है कि जेनेरिक दवाइयां भी चिकित्सकों द्वारा नहीं लिखी जाती है, जिस कारण मरीजों को बाहर से महंगी दवाई लेने को विवश होना पड़ता है तथा आर्थिक बोझ भी सहना पड़ता है।
चिकित्सक द्वारा मरीजों को जो दवाईयाँ लिये जाने का परामर्श दिया जाता है या पर्ची में दवाइयां लिखी जाती हैं, उसका रिकार्ड अपने पास नहीं रखा जाता , जिस पर जिलाधिकारी ने गहरी नाराजगी जाहिर की है।
जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लिया है तथा जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी तथा समस्त अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षकों व प्रभारियों को स्पष्ट लिखित निर्देश दिए हैं कि यदि अस्पताल में उपयुक्त दवा उपलब्ध नहीं है तो जेनेरिक दवाइयों को ही प्राथमिकता दी जाए जाए।
जिलाधिकारी द्वारा जारी निर्देश पत्र में स्पष्ट किया गया है कि यदि बाहर की दवाइयां लिखनी अतिआवश्यक है तो उन दवाइयों का रिकॉर्ड भी चिकित्सकों को रखना होगा। यह रिकॉर्ड न्यूनतम एक साल तक अस्पताल में संरक्षित रखा जाएगा। जिससे मरीज के शिकायत किए जाने पर उसकी जांच की जा सके कि किस वजह से बाहर की दवाई लिखी गई है।
इस रिकॉर्ड की निरंतर निगरानी करने के लिए उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी तथा चिकित्साधिकारियों को निर्देश निर्गत किए हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि यदि डॉक्टर ने अनावश्यक अथवा अस्पताल में उपलब्ध दवाई होते हुए भी बाहर की दवाई पर्चे में लिखी है तो संबंधित डॉक्टर के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
बीते दिनों जिलाधिकारी द्वारा जिला चिकित्सालय का निरीक्षण के दौरान भी यह निर्देश दिये गये थे कि उपचार हेतु आने वाले मरीजों को चिकित्सालय में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराई जायें। उपचार के दौरान बाहर से दवाईया लिये जाने हेतु बाध्य न किया जाय और न ही पर्ची में बाहर की दवाईयों लिखी जायें।
इसी क्रम में उन्होंने पुनः निर्देश दिये हैं कि किसी भी प्रकार की दवाईयों बाहर से नहीं लिखी जायें तथा चिकित्सक द्वारा जिस पर्ची में दवाईयाँ लिखी जाती हैं, उसमें द्वितीय प्रति हेतु कार्बन लगा हो, जिसकी व्यवस्था मुख्य चिकित्साधिकारी / सम्बन्धित चिकित्साधीक्षक द्वारा सुनिश्चित की जाय। कार्बन प्रति सम्बन्धित चिकित्सालय में सुरक्षित रखी जाय व समय-समय पर मुख्य चिकित्साधिकारी / सम्बन्धित चिकित्साधीक्षक द्वारा उनका अवलोकन किया जाय।
इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी ने जनपद के अस्पतालों में बढ़ते रेफरल मामलों को भी गंभीरता से लिया है। उन्होंने बताया कि यह भी देखा जाता है कि जिला/उप-जिला चिकित्सालयों/सामुदायिक / प्रा. स्वास्थ्य स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा बिना किसी ठोस कारण एवं चिकित्सालय में उपलब्ध व्यवस्था/विकल्प पर विचार किये बिना साधारण मरीजों को भी अनावश्यक रेफर किया जाता है, जिससे कि मरीजों को उपचार मिलने में विलम्ब होता है, जो उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से कदापि उचित नहीं है।
इस क्रम में जिलाधिकारी ने सरकारी अस्पतालों के प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया है कि किसी भी प्रकार के मरीज को रेफर करने से पूर्व सम्बन्धित स्वास्थ्य केन्द्र / चिकित्सालय में चिकित्सकों द्वारा सभी विकल्पों / उपलब्ध संसाधनों पर विचार किया जाय।
आवश्यकतानुरूप अपने वरिष्ठ किसी भी चिकित्सक से विचार-विमर्श कर मरीजों के बेहतर उपचार हेतु समुचित प्रयास किये जाये।
चिकित्सालय में उपलब्ध सुविधाओं का सम्बन्धित मरीज के उपचार हेतु पर्याप्त नहीं होने एवं रेफर के अतिरिक्त कोई अन्य विकल्प नहीं होने की परिस्थिति में ही उसे रेफर किया जाय।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि यदि मरीज को रेफर किया जाना अति आवश्यक है तो आवश्यक सुविधाओं युक्त एम्बुलेंस का ही इस्तेमाल किया जाए।
जारी पत्र में उन्होंने निर्देश दिए कि रेफरल मरीज के विवरण के सम्बन्ध में चिकित्सालयों में एक पंजिका तैयार की जायें।
जिसमें किसी भी मरीज को रेफर करने की स्थिति में उसका पूर्ण विवरण यथा मरीज का नाम, पूर्ण पता, मोबाइल नंबर सहित मरीज की बीमारी का विवरण, चिकित्सालय में उपचार हेतु आने का समय, उपचार करने वाले चिकित्सक का नाम, चिकित्सालय में उपलब्ध कराये गये उपचार का विवरण, रेफर करने का कारण आदि का पूर्ण उल्लेख किया जाय।
यह भी सुनिश्चित किया जाय कि उक्त प्रकिया में किसी भी प्रकार का अतिरिक्त समय का क्षय न हो। जिससे मरीज को जल्द से जल्द अन्यत्र उपचार हेतु ले जाया जा सके।
जिलाधिकारी ने कहा कि अनावश्यक रेफरल, बाहर से दवाईया लिखे जाने आदि शिकायतें प्राप्त होने पर इसे गंभीरता से लेते हुए सम्बन्धित के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जायेगी।

