चौखुटिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था को लेकर आंदोलन, स्वास्थ्य निदेशक पहुचे धरना स्थल पर।
रिपोर्ट – बलवन्त सिंह रावत
रानीखेत। चौखुटिया में आपरेशन स्वास्थ्य के नाम से पिछले दो अक्टूबर से चल रहा जन आंदोलन जारी है।
वही स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के सुधार के लिए चल रहे आमरण अनशन ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को आखिरकार हरकत में ला दिया।
भूख हड़ताल पर बैठे आंदोलनकारी भुवन कठायत की स्वास्थ्य में गिरावट आने के कारण प्रशासन ने उठाकर उप जिला चिकित्सालय रानीखेत में भर्ती कराया।
जहां उनका ईलाज चल रहा है। वही साथ ही कुछ लोग चौखुटिया रामगंगा में जल सत्याग्रह भी कर रहे हैं।
चौखुटिया के धरना स्थल पर कुमाऊं मंडल के स्वास्थ्य निदेशक डॉंक्टर के. के. पांडे और डॉंक्टर नवीन तिवारी के साथ कुछ प्रमुख मांगों पर सहमति बनी लेकिन आंदोलन अभी भी जारी है।
स्वास्थ्य निदेशक डॉंक्टर के. के. पांडे ने बताया कि जो आंदोलन वहां पर 2 अक्टूबर से चला हुआ था, उसके संबंध में हमारे स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार का निर्देश आया कि आप वहा जाकर उनकी समस्याओं को सुनें और उसका यथासंभव निस्तारण करें।
उनके और हमारी महानिदेशक महोदया डॉंक्टर सुनीता टम्टा के आदेश पर कल मैं और हमारे जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉंक्टर तिवारी और रानीखेत चिकित्सालय से डॉंक्टर दीप पार्की आंदोलनकारियों के बीच में पहुंचे और वहां जाकर हमारी उनसे सकारात्मक वार्ता भी हुई और हमने उन्हें शासन की ओर से आश्वस्त किया कि जो 50 बेड के चिकित्सालय की उनकी मांग है
वो मुख्यमंत्री की घोषणा के अंतर्गत भी है और दूरभाष पर सचिव महोदय के द्वारा मुझे ये अवगत कराया गया था कि उनका पत्र शासन पे पहुंच भी गया है।
यथाशीघ्र उस पर कारवाही भी होगी और ये चीजें मैने उन आंदोलनकारियों को भी बताया, साथ में उनकी कुछ समस्याएं थी उसमें हमने तात्कालिक व्यवस्था के तहत उप जिला चिकित्सालय रानीखेत से प्रत्येक माह के दो दिन हमारे विशेषज्ञ चिकित्सकों को एक दिन स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, फिजिशियन और रेडियोलॉजिस्ट वहां पर मरीजों का उपचार करेंगे।
वही महीने में दो बार आई सर्जन और फिजिशियन वहां पर मरीजों का उपचार करेंगे। इस संबंध में हमने उनको अवगत कराया और जो वहां पर भूख हड़ताल पर बैठे थे। क्योंकि उनका लगातार स्वास्थ्य बिगड़ रहा था।
उनको प्रशासन की टीम द्वारा उप जिला चिकित्सालय रानीखेत में भर्ती करा दिया गया है। उनको कुछ और छोटी छोटी मांगें थी। कुछ हमारे स्तर की थी, और कुछ सीएमओ साहब के स्तर की थी।
उनके लिए उन सभी को आश्वस्त किया गया कि उन कमियों को जल्द ही दूर किया जाएगा। उन्होने कहा कि हमारे द्वारा सभी आंदोलनकारियों से अपील की गई कि वो अपना आंदोलन खत्म कर दें या स्थगित कर दें और मुझे उम्मीद है कि सभी लोग मेरी इस बात को मानेंगे।
सरकार उनकी सभी मांगों को लेकर बहुत गम्भीर है और यथाशीघ्र उनकी सभी मांगों का निराकरण की दिया जायेगा।
अनशन पर बैठे भुवन कठायत ने बताया कि आप सभी लोग जानते हैं कि चौखुटिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के उच्चीकरण और सुधारीकरण के लिए आमरण अनशन चल रहा है।
कल स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण मुझे भी वहां से उठा के लाए जो कि प्रशासन का कर्तव्य है और में स्वस्थ होने के बाद फिर अनशन मे बैठूंगा, अपने बाकी साथियों को दुबारा ज्वाइन करूंगा। उन्होने कहा कि कहने को तो बहुत कुछ है, ये जो भ्रष्ट तंत्र है।
अगर 25 साल पहले इन्होंने कोई स्वस्थ नीति बनाई होती, तो आज ये आंदोलन करने की स्थिति नहीं होती। शासन के पास आज डॉक्टर नहीं हैं, ऐसे में डॉक्टर भी करे तो क्या करे। शासन के पास न स्वास्थ्य की नीति है, न शिक्षा, रोजगार और पलायन की, उत्तराखंड, पहाड़ के विकास के लिए शासन के पास कोई भी नीति नहीं है।
मैं आपके चैनल के माध्यम से ये कहना चाहता हूं कि पिछले 25 सालों में इन्होंने उत्तराखंड को इतना लूट लिया ही कि यदि कोई ईमानदार सरकार शासन में आती भी है तो 10 साल तो उसको यहां की गंदगी साफ करने में लग जाएगी जो इन्होंने जो 25 सालों में उत्तराखंड में गंदगी फैलाई है।
मैं आपके चैनल के माध्यम से शासन, सीधा मुख्यमंत्री जी को ये सूचना देना चाहता हूं कि 15 अक्टूबर को चौखुटिया में एक महा रैली का आवाहन किया गया है चौखुटिया गेवाड घाटी, खच्चर घाटी भिकियासैंण मासी की जनता आपको अपनी शक्ति दिखाएगी।
तत्पश्चात 16 अक्टूबर को एक महा आमरण अनशन की घोषणा की जाएगी। जिसमें लगभग लगभग 5 हजार से 10 हजार लोग तक शामिल हो सकते हैं। तपश्चात चौखुटिया–रामगंगा घाटी से एक विशाल रैली के साथ दिवाली के बाद मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचेंगे।
आप सोच लीजिएगा मुख्यमंत्री महोदय की जब हम चौखुटिया रामगंगा ग़ेवाड़ घाटी से निकलेंगे तो हमारे साथ पहाड़ का कितना जन समूह होगा।
भुवन कठायत ने कहा कि इसमें सीएमओ साहब और डीजी सहाब की कोई गलती नहीं है, क्योंकि प्रशासन ने कोई स्वास्थ्य नीति ही नहीं बनाई है। पहाड़ को ऐसा समझा गया है जैसे यहां सिर्फ जंगली जानवर रहते हैं।
25 साल के शासन के जो सभी हुकुमदार हैं हमें शासन ने मनुष्य की श्रेणी में ही नहीं रखा है। हमारी मांगों पर अभी जो कारवाई हुई है उनसे मै संतुष्ट नहीं हूं, वैसे भी उनके हाथ में कुछ नहीं है।
अनशन पर बैठे भुवन कठायत ने कहा कि हम पहाड़ी लोग हैं, शांतिप्रिय, मेहनती और अनुशासन में रहने वाले लोग होते है। पूरा उत्तराखंड लगभग एक सैनिक परिवार है, समय समय पर हमने अपनी देशभक्ति का प्रमाण भी दिया है।
पूर्व सैनिक होने के नाते में सभी से कहना चाहूंगा कि ये जल समाधि जैसे उग्र कदम न उठाएं। अभी धरना चल रहा है तो हम क्रम बद्ध तरीके से चलें। वही 15 अक्टूबर की महा रैली, फिर आमरण अनशन और मुख्यमंत्री आवास के लिए कूच, इस लय में चलें, बाकी बाद में सोचेंगे क्या करना है।
उन्होने कहा कि निदेशक और सी एम ओ महोदय अपने स्तर से काम कर रहे हैं, जितना उनके हाथ में है वो कर रहे है, परंतु हम उनसे संतुष्ट नहीं है।
बाकी मैं यहां से स्वस्थ होने के बाद पुनः आंदोलन करूंगा और आंदोलन को अंतिम रूप तक जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती है तब तक जारी रखूगा।
जो की मैने पहले भी कहा है कि एक हाथ से दो एक हाथ से लो, जो कि मेरा और मेरे सभी आंदोलकारी साथियों का भी यही स्पष्ट कहना है।















