देहरादून। उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में पिछले कुछ वर्षाें से वृद्धि नहीं की जा रही है। ऐसे में ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में हर वर्ष टैरिफ में भारी वृद्धि की जा रही है, जो कि प्रदेश की व्यवस्था पर सवाल है।
प्रदेश के उद्योगपतियों व आम उपभोक्ताओं ने उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के समक्ष यह बात रखी।
उद्याेगपतियों ने लगातार बढ़ाई जा रही बिजली दरों के कारण उत्तराखंड से पलायन के लिए विवश होने की चेतावनी दी। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक टैरिफ का निर्धारण को लेकर आयोग में जनसुवाई के दौरान दर वृद्धि के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया गया।
उपभाेक्ताओं ने दरों में वृद्धि के प्रस्ताव को सिरे से नकारा
आइएसबीटी के निकट स्थित आयोग कार्यालय के सभागार में वार्षिक विद्युत दर वृद्धि के प्रस्ताव पर जनसुनवाई आयोजित की गई। जिसमें वार्षिक विद्युत टैरिफ के प्रस्ताव पर हितधारकों व आम उपभोक्ताओं से सुझाव व आपत्ति मांगी गई।
इस दौरान बड़ी संख्या में पहुंचे उपभाेक्ताओं ने दरों में वृद्धि के प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया। अब सभी पहलुओं का अध्ययन कर मार्च अंत तक आयोग की ओर से टैरिफ निर्धारण पर निर्णय लिया जाएगा।
प्रदेश के करीब 27 लाख बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर आगामी एक अप्रैल से भार बढ़ सकता है। दरअसल, ऊर्जा निगम, पिटकुल और यूजेवीएनएल की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए विद्युत दरों में विभिन्न श्रेणी में 19 से 29 प्रतिशत तक की वृद्धि का प्रस्ताव आयोग को भेजा गया है।
जिसे उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर सभी हितधारकों से सुझाव मांगे थे। बीते 18 फरवरी को शुरू होकर चार शहरों में जनसुनवाई संपन्न हो गई है। अब अगले माह इसके अध्ययन के बाद नया टैरिफ जारी कर दिया गया है।
बिजली चोरी रोकने में निगम नाकाम, उद्योगों पर बढ़ा रहे भार
जनसुनवाई में विभिन्न क्षेत्र के उद्योगपतियों ने भी प्रतिभाग किया। उन्होंने ऊर्जा निगम की कायैशैली में खामियां गिनाते हुए उद्योगों पर भार डालने का आरोप लगाया।
निरंतर सप्लाई चार्ज समाप्त करने, आनलाइन सुवधाएं बढ़ाने, बड़े कनेक्शनों के लिए नीति बनाने की मांग उठाई।
इंटीग्रेटेड इंस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश भाटिया ने कहा कि ऊर्जा निगम बिजली चोरी रोकने में नाकाम है और भार उद्योगों पर डाला जा रहा है।
केंद्र सरकार एमएसएमई को बढ़ाना देने के लिए रियायत प्रदान कर रही है और राज्यों से भी सहयोग की उपेक्षा की जा रही है, लेकिन उत्तराखंड में बिजली दरों में हो रही वृद्धि से उद्योग लगाने वाले हाथ पीछे खींच रहे हैं। उन्होंंने मांग की कि गुणवत्ता युक्त बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
लघु सूक्ष्म उद्योंगों के नए कनेक्शनों के आवेदन व भार बढाने के आवेदनों पर लगने वाले समय सीमा को कम किया जाए व नया कनेक्शन आवेदन से लेकर चार्ज होने तक की अवधि को अधिकतम एक माह किया।
नए कनेक्शनों पर लगने वाले पोल केबल आदि की धनराशि को न्यूनतम फिक्स किया जाए।
सेवाएं देने में निगम फिसड्डी
प्रेमनगर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता वीरू बिष्ट ने आयोग के समक्ष पक्ष रखते हुए कहा कि ऊर्जा निगम उपभोक्ताओं को सुविधा नहीं दे पा रहा है और छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर भी उपभोक्ता भटकते रहते हैं। लेकिन, हर साल दरों में वृद्धि की जा रही है।
साथ ही वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में उपभोक्ताओं को फोन कर बिल जमा कराने के लिए धमकाया जाता है। कनेक्शन काटने और जुर्माना लगाने की धमकी दी जाती हैं। साथ ही शहर से लेकर गांव तक घंटों बिजली कटौती की जा रही है।
वित्तीय वर्ष-2025-26 के विद्युत टैरिफ में ऊर्जा के तीनों निगमों में उपनल के माध्यम से कार्यरत संविदा कर्मचारियों को कम से कम 300 यूनिट बिजली निश्शुल्क या रियायती दरों दिए जाने का प्रविधान किया जाए।
अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों को इससे कुछ राहत मिल सकेगी। साथ ही वर्ष-2020 के पश्चात नियुक्त नियमित कार्मिकों को रियायत दर पर विद्युत सुविधा बहाल की जाए।
टैरिफ प्रस्ताव के मुख्य बिंदु
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 8.72 प्रतिशत की वृद्धि
नान घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 19.56 प्रतिशत की वृद्धि
सरकारी सार्वजनिक उपभोक्ताओं के लिए 22.9 प्रतिशत की वृद्धि
प्राइवेट ट्यूबवेल के लिए 9.73 प्रतिशत की वृद्धि
उद्योगों के लिए 19.01 प्रतिशत की वृद्धि