
नशा विरोधी जागरुकता सत्र- सेमिनार-
अल्मोड़ा। महाविद्यालय में गठित एण्टी ड्रग सेल द्वारा महाविद्यालय की स्मार्ट-क्लास में “नशा विरोधी जागरूकता ” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ. अंकित मनोड़ी द्वारा किया गया। सेमिनार के आरंभिक चरण में छात्र-छात्राओं द्वारा ग्रामीण परिवेश में नशे दुष्परिणामों व रोकथाम के संभावित उपायों आदि के संबंध में अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य डॉ० चन्द्रा गोस्वामी ने अपने उद्बोधन में कहा कि नशा एक महामारी के रूप में हमारे समाज में फैलता जा रहा है।
जिस कारण हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ी अनेकानेक रोगों से ग्रसित होती जा रही और हमारा वातावरण भी दूषित हो रहा है ।
अतः हम सभी को सुदृढ़ प्रकार से एक होकर संकल्प लेना होगा कि हम न ही नशा करेंगे और न ही किसी को नशा करने देंगे ।
हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ० गिरीश चन्द्र ने कहा कि नशा केवल नशा कर रहे व्यक्ति के लिए संकट नहीं अपितु समाज में रह रहे प्रत्येक जनमानस के लिए संकट की स्थिति है।
यदि हमें घर, परिवार, गाँव, मोहल्ले, कस्बे व रास्ते इत्यादि किसी भी स्थान पर कोई भी व्यक्ति धूम्रपान, मदिरापान इत्यादि किसी भी प्रकार के नशे का सेवन करते हुए दिखाई दे तो हमें शीघ्रता से उसका विरोध कर एक जागरूक नागरिक होने का परिचय देना चाहिए ।
इतिहास विभाग की प्राध्यापिका डॉ० गरिमा पाण्डेय ने कहा कि नशा एक ऐसा अभिशाप है, जो दीमक बनकर हमारे समाज के नौजवानों, तरुणों, वृद्धजनों को खोखला बना रहा है।
हम सभी को निकट भविष्य की इस भयावह स्थिति को रोकने का प्रयास करना होगा, जिसके लिए हम सभी को नशे के विरुद्ध प्रतिबद्धता का परिचय देना होगा।
सेमिनार में महाविद्यालय के प्राध्यापकों सहित व कुल 30 छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।
