उत्तराखंड में 100 नगर निकायों के चुनाव प्रचार का शोर मंगलवार 21 जनवरी को शाम 5 बजे से थम जाएगा. अब प्रत्याशी केवल डोर-टू-डोर प्रचार कर सकेंगे. इन निकाय चुनावों में 30 लाख से अधिक मतदाता 23 जनवरी को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार के मुताबिक, मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद कर दिया गया है. यह नियम चुनाव प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष बनाने के लिए लागू किया गया है।
मंगलवार शाम पांच बजे के बाद से सभी प्रत्याशी केवल व्यक्तिगत संपर्क के जरिए प्रचार कर सकते हैं।
चुनाव में कुल 5405 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इनमें 11 नगर निगमों में मेयर पद के लिए 72 प्रत्याशी, 89 नगर पालिका और नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए 445 प्रत्याशी और पार्षद व वार्ड सदस्य पदों के लिए 4888 प्रत्याशी शामिल हैं. इन चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने व्यापक तैयारियां की हैं।
कुल 30,29,000 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. मतदान के लिए 1515 मतदान केंद्र और 3394 मतदेय स्थल बनाए गए हैं. चुनाव प्रक्रिया के लिए 16,284 चुनाव कर्मी और 25,800 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं. साथ ही पोलिंग पार्टियों के आवागमन के लिए 846 हल्के और 572 भारी वाहनों की व्यवस्था की गई है।
मतदान की निगरानी के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम
चुनाव से जुड़े कार्मिकों का प्रथम चरण का प्रशिक्षण पहले ही पूरा हो चुका है. द्वितीय चरण का प्रशिक्षण मंगलवार को पूरा हो जाएगा. मतदान दलों को बुधवार को रवाना किया जाएगा. मतदान प्रक्रिया की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. चुनाव प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और पारदर्शी बनाने के लिए सख्त सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं. संवेदनशील और अति-संवेदनशील मतदान केंद्रों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी. सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ सीसीटीवी कैमरों और वेबकास्टिंग के जरिए भी निगरानी की जाएगी।
राज्य के 30 लाख मतदाता करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला
चुनाव में मतदान 23 जनवरी को होगा और उसी दिन मतपेटियों में प्रत्याशियों का भाग्य बंद हो जाएगा. मतगणना की तिथि बाद में घोषित की जाएगी. 11 नगर निगमों में मेयर पद के 72 प्रत्याशियों और 89 नगर पालिका व नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के 445 प्रत्याशियों ने पिछले कुछ हफ्तों में जोरदार प्रचार किया।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किसे चुनते हैं. राज्य के 30 लाख से अधिक मतदाता इन चुनावों में अहम भूमिका निभाएंगे. इन चुनावों के परिणाम न केवल स्थानीय प्रशासन पर असर डालेंगे, बल्कि प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर भी साफ करेंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग ने इन चुनावों को निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और सफल बनाने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं. मतदान के दिन किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं।
इन चुनावों के नतीजे यह तय करेंगे कि राज्य के विभिन्न नगर निकायों का नेतृत्व कौन करेगा. स्थानीय प्रशासन और विकास की योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए यह चुनाव बेहद अहम हैं. मतदाता अब अपनी पसंद का नेता चुनने के लिए तैयार हैं।