चमोली जिले में शुक्रवार सुबह आए बर्फीले तूफान और भयंकर हिमस्खलन ने तबाही मचा दी थी।
इस हादसे में बीआरओ कैंप के 55 श्रमिक फंस गए थे, जिनमें से 46 को सुरक्षित बचा लिया गया, जबकि आठ लोगों की जान चली गई. बचाव दलों और भारतीय सेना ने कड़ी मशक्कत के बाद सभी लापता श्रमिकों को ढूंढ निकाला।
रविवार शाम को बर्फ के नीचे दबे आखिरी शव को बरामद कर लिया गया, जिससे मरने वालों की संख्या आठ हो गई।
यह हादसा माणा इलाके में हुआ था, जहां खराब मौसम के कारण बचाव अभियान भी चुनौतीपूर्ण रहा. इस कठिन परिस्थिति में भारतीय सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, भारतीय वायु सेना और सीमा सड़क संगठन (BRO) की संयुक्त टीमों ने तेजी से राहत अभियान चलाया।
भारतीय सेना और बचाव दलों ने चलाया अभियान
राहत कर्मियों ने बर्फ में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए विशेष टोही रडार, ड्रोन, क्वाडकॉप्टर और हिमस्खलन बचाव में प्रशिक्षित कुत्तों का उपयोग किया. सेना के हेलीकॉप्टर लगातार उपकरणों और आवश्यक सामग्री को मौके तक पहुंचाने में जुटे रहे. सेना की मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने इस बचाव अभियान की खुद निगरानी की और मौके पर जाकर हालात का जायजा लिया।
खराब मौसम के कारण रेस्क्यू में आई दिक्कतें
बचाव अभियान के दौरान भी राहत दलों को भारी बर्फबारी और खराब मौसम का सामना करना पड़ा. लगातार गिरती बर्फ और तेज हवाओं ने बचाव कार्य में बाधा डाली, जिससे कर्मियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
लेकिन इसके बावजूद, भारतीय सेना और अन्य एजेंसियों ने बिनारुके अपना काम जारी रखा और अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने का प्रयास किया. सेना ने इस मुश्किल अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले सभी सैनिकों और राहत कर्मियों की सराहना की, जिन्होंने कठोर परिस्थितियों के बावजूद अपने कर्तव्य को पूरी ईमानदारी से निभाया।
सेना ने पीड़ितों के परिवारों के लिए दुख व्यक्त किया
भारतीय सेना ने इस दुर्भाग्यपूर्ण आपदा में अपनी जान गंवाने वाले श्रमिकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है. प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मृतकों के परिवारों को हरसंभव सहायता दी जाएगी और घायलों के इलाज में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।
इस घटना के बाद राज्य सरकार भी अलर्ट हो गई है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा उपायों पर विचार किया जा रहा है।
इस भीषण हिमस्खलन ने यह साबित कर दिया कि पहाड़ी इलाकों में मौसम कितना खतरनाक हो सकता है, और किसी भी आपदा से निपटने के लिए मजबूत तैयारियों की जरूरत है।