उत्तरकाशी : चिनूक और MI-17 से रेस्क्यू, 300 लोगों और जेनरेटर को भी पहुंचाया

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उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा के तीसरे दिन आज सेना और हेलीकॉप्टर ने पूरा मोर्चा संभाल लिया। मौसम खुलते ही आज हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू कार्य तेज हुआ।

अब तक 200 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है।

जिला प्रशासन के अनुसार सेना के दो घायल जवानों को हेलिकॉप्टर से हायर सेंटर भेजा गया है। आपदा में छह लोगों की मौत हो गई है। जबकि कई लोग लापता हैं। हर्षिल से प्रभावितों को सीधे देहरादून एयरपोर्ट पर चिनूक से लाया गया। इसके साथ ही देहरादून से चिनूक के जरिए जेनरेटर भी हर्षिल पहुंचाया गया है। जिससे पूरे इलाके में बिजली को चालू किया जा सके।

इसके अलावा शुक्रवार से इंटरनेट भी चालू करने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए चिनूक से एक वीसैट ((अति लघु एपर्चर टर्मिनल)) मातली पहुंचा दिया गया है। आज शाम या कल सुबह तक यह हर्षिल पहुंच जाएगा। इसके चालू हो जाने से इंटरनेट कनेक्टिविटी भी सुधारने की कोशिश की जाएगी।

धराली से रेस्क्यू कर देहरादून एयरपोर्ट लाया

चिनूक हेलिकॉप्टर द्वारा सबसे पहले आज 29 लोगों को धराली उत्तरकाशी से रेस्क्यू कर देहरादून एयरपोर्ट लाया गया। जहां पर उनका मेडिकल चेकअप किया। प्रशासन, पुलिस, सेना और एनडीआरएफ की टीम देहरादून एयरपोर्ट पर मौजूद है। इन 29 लोगों के लिए देहरादून एयरपोर्ट पर सेना, एनडीआरएफ और उत्तराखंड सरकार की बसें खड़ी हैं। जिनसे इनको आगे के लिए रवाना किया जाएगा।

200 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू

आज गुरुवार को 200 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया। इनमें से 100 लोग देहरादून एयरपोर्ट तक पहुंचाए गए। इसके बाद ये लोग अपने अपने गंतव्य को रवाना हो गए हैं।

जिनमें महाराष्ट्र, यूपी,​ बिहार, उत्तराखंड समेत देशभर के कई इलाकों से हर्षिल घाटी में फंसे लोग रहे। जो कि गंगोत्री, हर्षिल और धराली में फंसे हुए थे। इनके लिए हरिद्वार, देहरादून, आईएसबीटी और ऋषिकेश तक परिवहन निगम की बसें लगाई गई।

हर्षिल से लाए गए लोगों ने बताया कि कम से कम 200 लोग उधर फंसे हुए हैं। बताया जा रहा है कि कल शुक्रवार से चिनूक और एमआई-17 को चिन्यालीसौंड़ में ही तैनात किया जाएगा, ताकि देहरादून से लग रहे अतिरिक्त समय को कम किया जा सके। उधर सड़क मार्ग को खोलने में अभी भी कम से कम चार दिन लग सकते हैं।
बीआरओ के अनुसार पूरे रास्ते में चार बड़े भूस्खलन बिंदु हैं और एक पुल नष्ट हो गया है। पिछले दो दिनों से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कर्मचारी और मशीनरी तैनात हैं। सड़कों को बहाल करने के प्रयास जारी हैं। हर्षिल तक पहुंचने में कम से कम तीन दिन लग सकते हैं।

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