भारत में घुसपैठियों की समस्या काफी बड़ी है। देश के कई राज्यों में अवैध शरणार्थियों ने डेरा डाल रखा है। असम भी इन्हीं में से एक है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को बुरी तरह से फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार से दो टूक शब्दों में पूछा कि विदेशियों को डिपोर्ट करने में देरी क्यों हो रही है? आप किस मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में दो जजों अभय एस ओका और उज्जवल भुइयां की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। उन्होंने कहा कि विदेशियों को जल्द से जल्द उनके देश वापस भेजें।
वहीं, अदालत को जवाब देते हुए असम सरकार ने कहा कि वो कई शरणार्थियों का पता नहीं जानती है। ऐसे में अदालत ने विदेशों को उनके देश की राजधानी में डिपोर्ट करने का आदेश दिया है।
अदालत ने लगाई फटकार
सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि आप विदेशियों को इसलिए डिपोर्ट नहीं कर रहे हैं क्योंकि आप उनका पता नहीं जानते। उनके पते की आपको क्यों चिंता है? उन्हें उनके देश वापस भेजें। क्या आप किसी शुभ मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?
अनुच्छेद 21 की दिलाई याद
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आपने किसी को विदेशी घोषित कर दिया है तो आपको अगला कदम भी उठाना चाहिए। आप उन्हें हमेशा के लिए नजरबंद करके नहीं रख सकते हैं।
संविधान का अनुच्छेद 21 इसकी इजाजत नहीं देता है। असम में विदेशियों के लिए बहुत सारे डिटेंशन सेंटर हैं। उनमें से आपने कितने विदेशियों को डिपोर्ट किया है?
2 हफ्ते का दिया समय
सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को 2 हफ्ते का समय दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 25 मई को होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से 2 हफ्ते के अंदर 63 लोगों की डिपोर्टेशन प्रक्रिया शुरू करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने इसका प्रपोजल विदेश मंत्रालय में जमा करने का आदेश दिया है।