कैग रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, उत्तराखंड में वन संरक्षण के लिए मिले फंड से खरीदे गए आईफोन और आफिस सजावट का सामान

Share from here

उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है. भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की एक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि वन संरक्षण के लिए आवंटित धन का दुरुपयोग किया गया और इसका उपयोग आईफोन, महंगे ऑफिस डेकोर और अन्य गैर-जरूरी वस्तुओं की खरीद के लिए किया गया।

CAG द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए तैयार की गई रिपोर्ट में यह उजागर हुआ कि उत्तराखंड के वन विभाग, स्वास्थ्य विभाग और श्रमिक कल्याण बोर्ड ने बिना किसी उचित योजना और अनुमोदन के सरकारी धन का मनमाने ढंग से उपयोग किया।

रिपोर्ट के अनुसार, वन विभाग ने पर्यावरण और वन संरक्षण के लिए आवंटित 3.17 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग आईफोन, फर्नीचर, साज-सज्जा और महंगे उपकरण खरीदने में किया।

वन विभाग ने 51.69 लाख रुपये से आईफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदे, जबकि 1.74 करोड़ रुपये कार्यालय की सजावट, फर्नीचर और अन्य असंबंधित मदों में खर्च किए गए।

श्रमिक कल्याण बोर्ड में गड़बड़ियां

स्वास्थ्य विभाग में भी भारी वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं. रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के मेडिकल कॉलेजों और स्वास्थ्य संस्थानों को बिना किसी उचित योजना के धन आवंटित किया गया. इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग ने कई मामलों में बिना टेंडर प्रक्रिया के निजी एजेंसियों को भुगतान किया, जिससे वित्तीय पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।

श्रमिक कल्याण बोर्ड में भी अनियमितताएं सामने आई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड ने बिना किसी उचित दस्तावेजी प्रमाण के करोड़ों रुपये जारी किए. कई योजनाओं में लाभार्थियों के नाम और बैंक खातों में अनियमितताएं पाई गईं।

सीएजी रिपोर्ट के खुलासे

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि श्रमिक कल्याण योजनाओं के तहत जारी किए गए अनुदानों का सही तरीके से ऑडिट नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि धनराशि वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंची या नहीं।

सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, इन विभागों ने वित्तीय नियमों और सरकारी प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया. कई मामलों में बिना उचित मंजूरी के फंड जारी किए गए, टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और अनियमित भुगतान किए गए।

सरकार पर बढ़ा दबाव

राज्य सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश देने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन वित्तीय अनियमितताओं पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे राज्य के विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

क्या होगी कार्रवाई?

सीएजी की इस रिपोर्ट के बाद अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।

क्या दोषी अधिकारियों और विभागों पर कोई कार्रवाई होगी या यह मामला भी अन्य भ्रष्टाचार के मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा. जनता और विपक्ष अब सरकार से स्पष्ट जवाब और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।


Share from here
See also  स्पा सेंटरों पर पुलिस कार्रवाई से मची खलबली, 35 स्पा सेंटर का किया चालान
error: Content is protected !!